के रूप में भी मनाई जाती है। हिंदू धर्म औऱ आध्यात्म की आधुनिक और प्रेरणादायी व्याख्या करने में स्वामी विवेकानंद का अहम योगदान है।
स्वामी विवेकानंद का जन्म 1863 में कोलकाता में हुआ था. उनका नाम नरेंद्रनाथ दत्त रखा गया। उनके पिता विश्वनाथ दत्त कोलकाता हाईकोर्ट में एक नामी वकील थे और माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था। विवेकानंद को धर्म और उसके आधुनिक स्वरूप को जानने की काफी उत्सुकता थी और ये उत्सुकता उनकी मां भुवनेश्वरी देवी पूरी किया करती थी।
25 साल की आयु में विवेकानंद घर छोड़कर संन्यासी हो गए और धर्म की खोज करने लगे। उन्हें आध्यात्म के प्रति गहरी रुचि थी और इसकी जिज्ञासा शांत करने के लिए वो आध्यात्मिक बैठकों में हिस्सा लिया करते थे।
फिर दौर आया 1893 का। ये वो साल था जब स्वामी विवेकानंद को अमेरिका की तरफ से विश्व धर्म महासभा में भारत की तरफ से हिस्सा लेने का निमंत्रण आया। उन्होंने शिकागो में भारत के हिंदू धर्म और आध्यात्म को लेकर ऐसा ओजस्वी भाषण दिया जिसकी वाहवाही पूरे विश्व में हुई। स्वामी विवेकानंद के इसी भाषण को सुनकर पश्चिमी सभ्यता के लोग भारतीय धर्म और संस्कृति की तरफ आकर्षित हुए।
स्वामी विवेकानंद के विचार बहुत प्रेरणादायक हैं। खासकर युवाओं के लिए स्वामी विवेकानंद के विचार काफी मायने रखते हैं क्योंकि इन्हें अपनाकर युवा अपना ही नहीं समाज का भी विकास करने में कामयाब हो सकते हैं।
आइए ऐसे ही विचारों को जानते हैं –
जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते, तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते।
हम जितना ज्यादा बाहर जाए और दूसरों का भला करें, हमारा हृदय उतना ही शुद्ध होगा और परमात्मा उसमें वास करेंगे।
पहले हर अच्छी बात का मजाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है।
आपको अंदर से बाहर की ओर विकसित होना है। कोई तुम्हें पढ़ा नहीं सकता, कोई तुम्हें आध्यात्मिक नहीं बना सकता, तुम्हारी आत्मा के अतिरिक्त कोई और गुरु नहीं है।
उठो, जागो और लक्ष्य पूरा होने तक मत रुको।
अपने इरादों को मजबूत रखो, लोग जो कहते हैं उन्हें कहने दो, एक दिन वही लोग तुम्हारा गुणगान करेंगे.
जो किस्मत पर भरोसा करते हैं वो कायर हैं, जो अपनी किस्मत खुद बनाते हैं वो मजबूत हैं।